प्रकृति की अब बारी आयी, पिंजरे में बंद हुए इंसान सभी, प्रकृति की अब बारी आयी, पिंजरे में बंद हुए इंसान सभी,
कलम दवात की, स्याही से ज्यादा कहाँ चलती है हदें तय हैं, दो छोरों की दूरी तय कर रहे हो। कलम दवात की, स्याही से ज्यादा कहाँ चलती है हदें तय हैं, दो छोरों की दूरी तय कर ...
वादों की डोलियां ऊठी थी कभी आज उनके जनाजों की कतार भी देख ली। वादों की डोलियां ऊठी थी कभी आज उनके जनाजों की कतार भी देख ली।
मुझ पे तेरे ख्यालों का जोर चल रहा है मुझ पे तेरे ख्यालों का जोर चल रहा है
मणि मुक्ता मंत्र व्यर्थ उर गहरे गड़ी मेख। मणि मुक्ता मंत्र व्यर्थ उर गहरे गड़ी मेख।
बच्चे खेलते पार कर ले, जवान दौड़ते पार कर ले, बेसहारा सहारा लेकर पार कर ले.. बच्चे खेलते पार कर ले, जवान दौड़ते पार कर ले, बेसहारा सहारा लेकर पार कर ले..